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नवग्रह रत्न माणिक्य और मूंगा (Gemstone Ruby and Coral)


रत्न खूबसूरत पत्थर होते हैं जिनमें काफी घनत्व होता है.ये विभिन्न रंगों में पाये जाते हैं.अपने गुणों एवं चमत्कारी प्रभाव के कारण ये रत्न कहलाते हैं.नवग्रहों से सम्बन्धित होने के कारण इन्हें नवरत्न कहा जाता है.इनकी संख्या काफी है परंतु भारतीय ज्योतिष में 84 रत्नो को ही मान्यता प्राप्त है.
माणिक्य की विशेषता (Speciality of Rubies)
माणिक्य का लाल रंग की आभा लिये होता है.यह अन्य रंगों जैसे गुलाबी, काला और नीले रंग में भी पाया जाता है.यह अत्यंत कड़ा होता है.पृथ्वी पर पाये जाने वाले खनिजों में सिर्फ हीरा ही इससे कठोर होता है.जो माणिक्य सूर्य की पहली किरण पड़ने पर लाल रंग बिखेरता है वह सर्वोत्तम होता है.उत्तम माणिक्य की पहचान है कि अगर इसे दूध में 100 बार डुबोते हैं तो दूध मे भी माणिक्य की आभा दिखने लगती है.अंधेरे कमरे में रखने पर यह सूर्य के समान प्रकाशमान होता है.इसे पत्थर पर रगड़े तो इसपर घर्षण के निशान आ जाते हैं लेकिन वजन में कमी नहीं आती है.
माणिक्य धारण करने से लाभ (Benefit of wearing Ruby)
माणिक्य को प्रेम का रत्न भी कहा जाता है क्योकि इसे धारण करने से मन में उत्साह और उमंग बढ़ता है.यह मायूसी और उदासीनता को दूर करता है.ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह प्रेत बाधा से मुक्ति प्रदान करने वाला होता है.इस रत्न को धारण करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है.आर्थिक परेशानी की स्थिति में यह धन प्रदायक होता है.माणिक्य धारण करने वाला व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठित होता है.मान्यताओ के अनुसार जो व्यक्ति इसे धारण करता है उसके ऊपर संकट आने पर इसका रंग फीका हो जाता है और संकट टल जाने पर पुन: इसकी आभा लौट आती है.माणिक्य के विषय में यह भी मान्यता है कि यह जहर के प्रभाव को कम करता है एवं जहरीली चीज़ पास होने पर इसक रंग फीका पड़ जाता है.
मूंगा की विशेषता (Characteristics of Coral)मूंगा गुलाबी, काला, सुनहरे रंग का भी पाया जाता है परंतु आमतौर पर जो मूंगा पाया जाता है वह लाल रंग का होता है.लाल मूंगा स्त्रियों के लिए बहुत ही भाग्यशाली माना जाता है.इस रत्न को बहुत ही शुभ कहा गया है.प्राचीन रोमनवासी इसे अलंकार के अलावा तावीज़ के रूप में भी धारण करते थे क्योंकि यह रत्न व्यक्ति में साहस और वीरता का संचार करने वाला होता है.
मूंगा धारण करने से लाभ (Benefits of wearing Coral)मान्यताओं के अनुसार सुहागिन स्त्रियों को मूंगा धारण करने से सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है.जिन लोगों को रात में बुरे बुरे सपने आते हैं और भूत प्रेत का भय होता है उन्हें मूंगा धारण करने से लाभ होता है.जिनकी कुण्डली में मंगल कमजोर अथवा पीड़ित होता है उन्हें मूंगा धारण करने से कई प्रकार की परेशानियों से राहत मिलती है.मूंगा के विषय में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति इसे धारण करता है वह अगर रोग से पीड़ित होता है तो इसके रंग में बदलाव आने लगता है, जो व्यक्ति के स्वस्थ होने पर पुन: वास्तविक रंग में लौट आता है.बौद्ध अभिलेखों में मूंगा के विषय में कहा गया है कि यह मानसिक रोग को दूर करने वाला है.यह बौद्धिक क्षमता को बढ़ता है.मूंगा का ताबीज रक्त स्राव को रोकने में कारगर होता है.

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नवग्रह रत्न मोती और पन्ना (Gemstone Pearl and Emerald)


नवग्रह रत्न सिर्फ सौन्दर्य वर्द्धक ही नहीं होते हैं बल्कि इनमें ज्योतिषीय शक्तियां भी होती है. ये ग्रहों से उनकी उर्जा को अवशोषित करते हैं
नवग्रह रत्न धारण करने वालों को अच्छा और बुरा प्रभाव देते हैं.अत: इसे धारण करने से पहले ज्योतिषशास्त्री अथवा रत्न विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए. 
मोती की ज्योतिषीय विशेषता  Astrological Characteristics of Pearl मोती चन्द्रमा का रत्न है.मोती के कई प्रकार हैं.आमतौर पर जो मोती मिलते हैं वह सीप से प्राप्त होता है परंतु शास्त्रों में बताया गया है कि यह हाथी से भी प्राप्त होता जिसे गज मुक्ता कहते हैं.सर्प से मणि के रूप में एवं बांस से बांसलोचन के रूप में प्राप्त होता है.मोती को प्रेम का प्रीतक माना जाता है.यह सौम्य और शांत प्रकृति का होता है.मोती सफेद, चांदी की तरह चमकीला, गुलाबी, नीला, पीला एवं काला भी होता है.सभी प्रकार के मोती की अपनी विशेषता होती है.
मोती धारण करने से ज्योतिषीय लाभ Astrological Benefits of wearing Pearl
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार जिन लोगों को क्रोध जल्दी आता है उन्हें मोती धारण करने से लाभ मिलता है.यह मानसिक शांति प्रदान करने के साथ ही एकाग्रता बढ़ाने में भी कामयाब होता है.संतानहीन व्यक्तियों को मोती धारण करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है.ज्योतिषीय मान्यताओ के अनुसार यह मान प्रतिष्ठा एवं धन व वैभव दायक होता है.मोती रोग शमन करने की भी क्षमता रखता है.बुखार में मोती धारण करना लाभप्रद रहता है.यह हृदय गति को सामान्य बनाए रखता है.आंत्रशोथ, अल्सर एवं पेट सम्बन्धी कई अन्य बीमारियों में भी काफी असरकारी होता है.मोती के संदर्भ में ऐसी मान्यता भी है कि जो व्यक्ति शुद्ध मोती धारण करते हैं उन पर देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है अर्थात व्यक्ति धनवान होता है.पति पत्नी के बीच अगर दूरी बढ़ रही हो तो मोती धारण करने से सम्बन्ध में सुधार होता है.
मोती अलग अलग रंगों में पाया जाता है और इनकी अपनी विशेषता होती है.पीली आभा युक्त मोती धारण करने से धन लाभ होता है.लाल रंग का मोती बौद्धिक क्षमता को बढ़ाता है.सफेद मोती प्रसिद्धि दायक होता है और नीली अभायुक्त मोती ईश्वरीय कृपा प्रदान करने वाला होता है.
पन्ना की ज्योतिषीय विशेषता  Astrological Characteristics of Emerald
पन्ना बुध ग्रह का रत्न है.जिनकी कुण्डली में बुध कमज़ोर होता है उन्हें पन्ना धारण करने से लाभ होता है.पन्ना कई रंगों में पाया जाता है लेकिन सब में हरे रंग की आभा झलकती रहती है जैसे तोते के पंख के समान हरा, मोर पंख के समान हरा, संदुल पुष्प के समान हरा, पारदर्शी हरा.ज्येतिषशास्त्र और रत्नशास्त्र के अनुसार चमकीला, आभायुक्त, जल के समान पारदर्शी और दाग एवं धब्बा रहित पन्ना उत्कृष्ट होता है.आम तौर पर दोष रहित पन्ना अत्यंत दुर्लभ होता है.यह बहुत ही नरम पत्थर होता है अत: कटिंग के समय इसमें दरारें आने की संभावना अधिक रहती है.बाजार में विशेष प्रकार के रासायनों का प्रयोग करके इन दरारों को छुपा दिया जाता और इसकी सुन्दरता को बढ़कर दोष रहित पन्ना के मूल्य में बेचा जाता है अत: खरीदते समय अच्छी तरह परख कर ही पन्ना खरीदना चाहिए.
पन्ना धारण करने से ज्योतिषीय लाभ  Astrological Benefits of wearing Emerald
पन्ना को दयालुता और प्रेम का प्रतीक माना जाता है.प्रेमी के द्वारा उपहार स्वरूप पन्ना प्राप्त करना भाग्य को प्रबल बनाता है.मिथुन राशि वालों के लिए पन्ना बहुत ही शुभ फलदायी होता है.इसे धारण करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है.धन और खुशी के लिए भी पन्ना धारण करना लाभप्रद होता है.पन्ना सर्पदंश की संभावना को कम करता है.बुरी नज़र और बुरी आत्माओं से रक्षा करता है.गर्भवती महिला अगर पन्ना धारण करती हैं तो प्रसव वेदना से राहत मिलती है.मानसिक अशांति, रक्त संचार में परेशानी, स्नायु विकार में पन्ना फायदेमंद होता है.इसे धारण करने से सहनशीलता और मानसिक स्थिरता का विकास होता है.

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नवग्रह रत्न लहसुनियां और लाजवर्त (Gemstone Cat's Eye and Lapis Luzuli)


राहु के समान छाया गया केतु होता है. केतु हमेशा वक्री रहता है. मंदा केतु दुर्घटना एवं रोग देता है जिससे शल्य चिकित्सा की भी संभावना बनती है. केतु का रत्न लहसुनियां है जो केतु की उर्जा एवं शक्ति को आकर्षित करके धारण करने वालों को केतु के विपरीत प्रभाव से बचाता है.
लहसुनियां की ज्योतिषीय विशेषता Astrological Characteristics of  Cat's Eye लहसुनियां आमतौर पर पीली और काली रंगत लिये होता है. इस रत्न को घुमाने पर इसके किनारे पर चमकीली आभा दृष्टि गोचर होती है. इस चमकीली आभा के कारण इसे सूत्र मणि भी कहा जाता है. वर्मा के मोगोक खदान से प्राप्त होने वाला लहसुनियां उच्च कोटि का होता है. उच्च कोटि का लहसुनिया पीली आभा लिये होता है जिसपर सफेद रंग की पतली धारी चमकती रहती है. यह धारी जितनी सीधी होती है रत्न उतना ही उत्तम कहलाता है.
लहसुनियां धारण करने से लाभ Astrological Benefits of wearing Cat's Eye
दोष रहित लहसुनियां अति प्रभावशाली होता है जो धारण करने पर तुरंत ही अपना असर दिखाना शुरू करता है. यह रत्न संतान पक्ष की ओर से प्रसन्नता एवं खुशी प्रदान करता है. आर्थिक परेशानियों में भी लहसुनियां काफी लाभप्रद होता है. लहसुनियां खोये हुए धन की प्राप्ति करवाता है और शत्रु पीड़ा से मुक्ति प्रदान करता है. यह मन को अध्यात्म की ओर प्रवृत करता है. लहसुनियां जादू टोना, आत्माओं से सम्बन्धित शक्तियां हासिल करने में सहायक रत्न होता है. यह साहसिक कामों में सफलता दिलाता
लाजवर्त की ज्योतिषीय विशेषता Astrological Characteristics of Lapis Luzuli
लाजवर्त अथवा राजवर्त शनि का रत्न है. इसे लैपिज लूजली के नाम से भी जाना जाता है. प्राचीन काल में यह मंहगे रत्नों में शुमार किया जाता था. लाजवर्त नीले रंग का होता है और इसपर सुनहरी धारियां होती है जिससे यह खूबसूरत दिखता है. आफगानिस्तान में यह रत्न काफी मात्रा में पाया जाता है. यह प्रेम और सद्भावना का प्रीतक माना जाता है.
लाजवर्त धारण करने से लाभ Astrological Benefits of wearing Lapis Luzuli
लाजवर्त शनि की पीड़ा से बचाव करता है साथ ही राहु के विपरीत प्रभाव से भी सुरक्षा प्रदान करता है. जो महिलाएं संगीत, नृत्य से जुड़ी हुई हैं लाजवर्त उनके लिए सफलता प्रदायक होता है. पुरूष जो इस रत्न धारण करते हैं उनमें सकारत्मक उर्जा का संचार होता है. व्यक्ति के मन में निराशात्मक विचार जन्म नहीं लेता हैं.. 
लाजवर्त आंखो के लिए लाभदायक रत्न होता है. इसे धारण करने से नेत्र रोग में फायदा होता है. यह बुखार में भी असरकारी होता है. पेट सम्बन्धी कई प्रकार की बीमारियों में राजवर्त कारगर होता है. मानसिक शांति एवं पारिवारिक खुशियो कें लिए भी लाजवर्त उत्तम रत्न होता है. यह आत्मविश्वास और इच्छा शाक्ति बढ़ाने वाला होता है. वैवाहिक जीवन में पति पत्नी के बीच बढ़ती हुई दूरियों को कम करने में भी लाजवर्त श्रेष्ठ होता है. इसे धारण करने से इच्छाशक्ति भी बढ़ती है.

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क्या होता है राशि रत्न (What are Moonsign Gems)

राशि रत्न परिचय (Introduction to Moonsign Gemstones)
रत्नों के विषय में सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि यह क्या होता है. रत्न मूल रूप से जैविक और अजैविक तत्व है. तृणमणि (Amber), मूंगा (Coral), मोती (Pearl), हाथी दांत (Lvory)जैविक रत्न हैं. प्राकृतिक रत्न खनिज के रूप में पृथ्वी के गर्भ से प्राप्त होता है. रत्न जितना सुन्दर होता है उतना ही उत्तम कोटि का होता है. रत्नों का कठोर होना भी इसका एक गुण होता है.

रत्नो के प्रकाशीय गुण (The effect of gemstone colors)
रत्नों में अनेकों गुण होते हैं जिनमें प्रकाशीय गुण विशिष्ट स्थान रखता है. रत्नों के अंदर कई रंगों की आभा छिटकती रहती है जिसे गौर से देखने पर विशेष आभा और चमक का भी अनुभव होता है. रत्नों की जांच के समय इसमें मौजूद प्रकाशीय गुण भी सहायक होता है. इसी की सहायता से रत्नों की सत्यता ज्ञात की जाती है.  

रत्न पहचान विधि (How to recognize an effective gem)
रत्नों की जांच स्पेक्ट्रम द्वारा की जाती है. स्पेक्ट्रोमस्कोप में रत्नों से निकलने वाली रोशनी अलग अलग रंगों के स्पेक्ट्रम में बंट जाती है. इस विधि से रंग के माध्यम से रत्नों को पहचानना आसान हो जाता है. कुछ रत्न ऐसे भी हैं जिनमें प्राकृतिक रोशनी में और कृत्रिम रोशनी में अलग अलग आभा होती हैं. पुखराज की विशेषता है कि यह सूर्य की रोशनी में अधिक चमकीला नज़र आता है जबकि बल्ब की रोशनी में इसकी चमक कम हो जाती है. इसके विपरीत पन्ना और माणिक्य बल्ब की रोशनी में सूर्य के प्रकाश से अधिक चमकीला दिखाई देते हैं. हीरा एक ऐसा रत्न है जिसमें प्राकृतिक और कृत्रिम रोशनी दोनों में ही समान अभा रहती है.

रत्न तौलने का मात्रक (Measuring a gemstone)
जिस प्रकार द्रव्य पदार्थों को लीटर में तौला जाता है और अनाज और अन्य वस्तुओं को किलो में तौला जाता है उसी प्रकार रत्नों को भी तौल कर बेचा जाता है. वर्तमान समय में रत्नों को तौलने का मात्रक कैरेट है. पुराने जमाने में इसे तोला, माशा और रत्ती में तौला जाता है. वर्तमान कैरेट प्राणली के अन्तर्गत 200 मिलीग्राम का एक कैरेट होता है. सुनार द्वारा सोने की शुद्धता मापने की विधि में जिस 24 कैरेट, 22 कैरेट, 18 कैरेट सोने की बात की जाती है वह इस पद्धति से भिन्न है. यह मात्रा ज्वेलरी में सोने की मात्रा को दर्शाने के लिए होता है.

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भाग्य और रत्न (Destiny and Gemstones)

रत्नों में चमत्कारी शक्ति है जो ग्रहों के विपरीत प्रभाव को कम करके ग्रह के बल को बढ़ते है. आइये जानें कि भाग्य को बलवान बनाने के लिए रत्न किस प्रकार धारण करना चाहिए. रत्नों की शक्ति (Power of Gemstones) रत्नों में अद्भूत शक्ति होती है. रत्न अगर किसी के भाग्य को आसमन पर पहुंचा सकता है तो किसी को आसमान से ज़मीन पर लाने की क्षमता भी रखता है. रत्न के विपरीत प्रभाव से बचने के लिए सही प्रकर से जांच करवाकर ही रत्न धारण करना चाहिए. ग्रहों की स्थिति के अनुसार रत्न धारण करना चाहिए. रत्न धारण करते समय ग्रहों की दशा एवं अन्तर्दशा का भी ख्याल रखना चाहिए. रत्न पहनते समय मात्रा का ख्याल रखना आवश्यक होता है. अगर मात्रा सही नहीं हो तो फल प्राप्ति में विलम्ब होता है. लग्न और रत्न (Ascendant And Gemstones) लग्न स्थान को शरीर कहा गया है. कुण्डली में इस स्थान का अत्यधिक महत्व है. इसी भाव से सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विचार किया जाता है. लग्न स्थान और लग्नेश की स्थिति के अनुसार जीवन में सुख दु:ख एवं अन्य ग्रहों का प्रभाव भी देखा जाता है. कुण्डली में षष्टम, अष्टम और द्वादश भाव में लग्नेश का होना अशुभ प्रभाव देता है. इन भावों में लग्नेश की उपस्थिति होने से लग्न कमजोर होता है. लग्नेश के नीच प्रभाव को कम करने के लिए इसका रत्न धारण करना चाहिए. भाग्य भाव और रत्न (Gemstones and Fortune) जीवन में भाग्य का बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. भाग्य कमज़ोर होने पर जीवन में कदम कदम पर असफलताओं का मुंह देखना पड़ता है. भाग्य मंदा होने पर कर्म का फल भी संतोष जनक नहीं मिल पाता है. परेशानियां और कठिनाईयां सिर उठाए खड़ी रहती है. मुश्किल समय में अपने भी पराए हो जाते हैं. भाग्य का घर जन्मपत्री में नवम भाव होता है. भाग्य भाव और भाग्येश अशुभ स्थिति में होने पर नवमेश से सम्बन्धित रत्न धारण करना चाहिए. भाग्य को बलवान बनाने हेतु भाग्येश के साथ लग्नेश का रत्न धारण करना अत्यंत लाभप्रद होता है. तृतीय भाव और रत्न (Gemstone for Third house) जन्म कुण्डली का तीसरा घर पराक्रम का घर कहा जाता है. जीवन में भाग्य का फल प्राप्त करने के लिए पराक्रम का होना आवश्यक होता है. अगर व्यक्ति में साहस और पराक्रम का अभाव हो तो उत्तम भाग्य होने पर भी व्यक्ति उसका लाभ प्राप्त करने से वंचित रह जाता है. आत्मविश्वास का अभाव और अपने अंदर साहस की कमी महसूस होने पर तृतीयेश से सम्बन्धित ग्रह का रत्न पहना लाभप्रद होता है. कर्म भाव और रत्न (Gemstone for Tenth House) कर्म से ही भाग्य चमकता है. कहा भी गया है "जैसी करनी वैसी भरनी" ज्योतिष की दष्टि से कहें तो जैसा कर्म हम करते हैं भाग्य फल भी हमें वैसा ही मिलता है. भाग्य को पब्रल बनाने में कर्म का महत्वपूर्ण स्थान होता है. भाग्य भाव उत्तम हो और कर्म भाव पीड़ित तो इस स्थिति भाग्य फल बाधित होता है. कुण्डली में दशम भाव कर्म भाव होता है. अगर कुण्डली में यह भाव पीड़ित हो अथवा इस भाव का स्वामी कमज़ोर हो तो सम्बन्धित भाव स्वामी एवं लग्नेश का रत्न पहनाना मंगलकारी होता है. रत्न और सावधानी (Gemstone Precautions) रत्न धारण करते समय कुछ सावधानियों का ख्याल रखना आवश्यक होता है. जिस ग्रह की दशा अन्तर्दशा के समय अशुभ प्रभाव मिल रहा हो उस ग्रह से सम्बन्धित रत्न पहनना शुभ फलदायी नहीं होता है. इस स्थिति में इस ग्रह के मित्र ग्रह का रत्न एवं लग्नेश का रत्न धारण करना लाभप्रद होता है. रत्न की शुद्धता की जांच करवाकर ही धारण करना चाहिए धब्बेदार और दरारों वाले रत्न भी शुभफलदायी नहीं होते हैं.

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रत्नों द्वारा रोग का उपचार भाग एक (Gemstone Therapy part 1)


भूलने की बीमारी और रत्न चिकित्सा (Memory lapse and Gemstone)
इस रोग में बीती हुई बहुत सी घटनाएं अथवा बातें याद नहीं रहती है.ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुण्डली में जब लग्न और लग्नेश पाप पीड़ित होते हैं तो इस प्रकार की स्थिति होती है.सूर्य और बुध जब मेष राशि में होता है और शुक्र अथवा शनि उसे पीड़ित करते हैं तो स्मृति दोष की संभावना बनती है.साढे साती के समय जब  शनि की महादशा चलती है उस समय भी भूलने की बीमारी की संभावना प्रबल रहती ह.रत्न चिकित्सा पद्धति के अनुसार मोती और माणिक्य धारण करना इय रोग मे लापप्रद होता है.
सफेद दाग़ और रत्न चिकित्सा(Leucoderma and Gem therapy)
सफेद दाग़ त्वचा सम्बन्धी रोग है.इस रोग में त्वचा पर सफेद रंग के चकत्ते उभर आते हैं.यह रोग तब होता है जब वृष, राशि में चन्द्र, मंगल एवं शनि का योग बनता है.कर्क, मकर, कुम्भ और मीन को जल राशि के नाम से जाना जाता है.चन्द्रमा और शुक्र जब इस राशि में युति बनाते हैं तो व्यक्ति इस रोग से पीड़ित होने की संभावना रहती है.बुध के शत्रु राशि में होने पर अथवा वक्री होने पर भी इस रोग की संभावना बनती है.इस रोग की स्थिति में हीरा, मोती एवं पुखराज धारण करने से लाभ मिलता है.
गंजापन और रत्न चिकित्सा( Baldness and Gem Therapy)
गंजापन बालों के झड़ने से सम्बन्धित रोग है.आनुवांशिक कारणों के अलावा यह रोग एलर्जी अथवा किसी अन्य रोग के कारण होता है.जिनकी कुण्डली के लग्न स्थान में तुला अथवा मेष राशि में स्थित होकर सूर्य शनि पर दृष्टि डालता है उन्हें गंजेपन की समस्या से पीड़ित होने की संभावना अधिक रहती है.ज्योतिषशास्त्र के अनुसार नीलम और पन्ना धारण करके इस समस्या पर काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है.
मधुमेह और रत्न चिकित्सा(Diabetes and Gem Therapy) 
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मधुमेह यानी डयबिटीज का सामना उस स्थिति में करना होता है जबकि कर्क, वृश्चिक अथवा मीन राशि में पाप ग्रहों की संख्या दो या उससे अधिक रहती है.लग्नपति के साथ बृहस्पति छठे भाव में हो तुला राशि में पाप ग्रहों की संख्या दो अथवा उससे अधिक हो तो इस रोग की संभावना बनती है.अष्टमेश और षष्ठेश कुण्डली में जब एक दूसरे के घर में होते हैं तब भी इस रोग का भय रहता है.रत्न चिकित्सा के अन्तर्गत इस रोग में मूंगा और पुखराज धारण करना लाभप्रद होता है.
दन्त रोग और रत्न ज्योतिष (Dental Problem and Gemstone)
दांतों का स्वामी बृहस्पति होता है.कुण्डली में बृहस्पति के पीड़ित होने पर दांतों में तकलीफ का सामना करना होता है.ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बृहस्पति जब नीच राशि में होता है अथवा द्वितीय, नवम एवं द्वादश भाव में होता है तब दांत सम्बन्धी तकलीफ का सामना करना होता है.मूंगा और पुखराज इस रोग में लाभदायक होता है.लोहे का कड़ा घारण करना भी इस रोग में अनुकूल लाभ देता है.
नोट रत्न धारण करने से पहले किसी रत्न विशेषज्ञ की सलाह लेना लाभकारी रहता है. 

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रत्नो द्वारा रोग का उपचार भाग-2 (Treating illnesses with Gemstones Part 2)

उच्च रक्तचाप और रत्न चिकित्सा (High Blood pressure and Gemstone Therapy)
चन्द्रमा हृदय का स्वामी है। चन्द्रमा के पीड़ित होने पर इस रोग की संभावना बनती है। जिनकी जन्मपत्री में सूर्य, शनि, चन्द्र, राहु अथवा मंगल की युति कर्क राशि में होती है उन्हें भी इस रोग की आशंका रहती है। पाप ग्रह राहु और केतु जब चन्द्रमा के साथ योग बनाते हैं तब इस स्थिति में व्यक्ति को उच्च रक्तचाप की समस्या का सामना करना होता है। मिथुन राशि में पाप ग्रहों की उपस्थिति होने पर भी यह रोग पीड़ित करता है। इस रोग की स्थिति में 8-9 रत्ती का मूंगा धारण करना लाभप्रद होता है। चन्द्र के रत्न मोती, मूनस्टोन, ओपल भी मूंगा के साथ धारण करने से विशेष लाभ मिलता है। 

तपेदिक और रत्न चिकित्सा (tuberculosis & Gemstone  Therapy)
तपेदिक एक घातक रोग है। नियमित दवाईयों के सेवन से इस रोग को दूर किया जा सकता है। अगर उपयुक्त रत्नों को धारण किया जाए तो चिकित्सा का लाभ जल्दी प्राप्त हो सकता है। ज्योतिष विधा के अनुसार जब मिथुन राशि में चन्द्रमा, शनि, अथवा बृहस्पति होता है या कुम्भ राशि में मंगल और केतु पीड़ित होता है तो तपेदिक रोग की संभावना बनती है। इस रोग से पीड़ित होने पर पुखराज, मोती अथवा मूंगा धारण करना लाभप्रद होता है। 

पैरों में रोग और रत्न चिकित्सा (Leg problem and Gemstone  Therapy)

शरीर के अंगों में पैरों का स्वामी शनि होता है। पैरों से सम्बन्धित पीड़ा का कारण शनि का पीड़ित या पाप प्रभाव में होना है। ज्योतिषीय मतानुसार जन्मपत्री के छठे भाव में सूर्य अथवा शनि होने पर पैरों में कष्ट का सामना करना होता है। जल राशि मकर, कुम्भ अथवा मीन में जब राहु, केतु, सूर्य या शनि होता है तब पैरों में चर्म रोग होने की संभावना बनती है। पैरों से सम्बन्धित रोग में लाजवर्त, नीलम अथवा नीली एवं पुखराज धारण करने से लाभ मिलता है। 

त्वचा रोग और रत्न चिकित्सा (Skin Disease Gemstone Theraphy)

शुक्र त्वचा का स्वामी ग्रह है। बृहस्पति अथवा मंगल से पीड़ित होने पर शुक्र त्वचा सम्बन्धी रोग जैसे दाद, खाज, खुजली, एक्जीमा देता है। कुण्डली में सूर्य और मंगल का योग होने पर भी त्वचा सम्बन्धी रोग की सम्भावना रहती है। मंगल मंदा होने पर भी इस रोग की पीड़ा का सामना करना पड़ सकता है। जन्मपत्री में इस प्रकार की स्थिति होने पर हीरा, स्फटिक, मूंगा अथवा ओपल धारण करने से लाभ मिलता है। 

बवासीर और रत्न चिकित्सा (Piles and Gemstone Therapy)

बवासीर गुदा का रोग है। जन्मकुण्डली का सप्तम भाव गुदा का कारक होता है। जिनकी जन्मपत्री के सप्तम भाव में पाप ग्रहों की उपस्थिति होती है उन्हें इस रोग की संभावना रहती है, मंगल की दृष्टि इस संभावना को और भी प्रबल बना देती है। मंगल की राशि वृश्चिक कुण्डली में पाप प्रभाव में होने से भी बवासीर होने की संभवना को बल मिलता है। अष्टम भाव में शनि व राहु हो अथवा द्वादश भाव में चन्द्र और सूर्य का योग हो तो इस रोग की पीड़ा का सामना करना होता है। इस रोग में मोती, मूनस्टोन अथवा मूंगा धारण करना रत्न चिकित्सा की दृष्टि से लाभप्रद होता है। 

नोट रत्न धारण करने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह लेना चाहिए।