राशि रत्न परिचय (Introduction to Moonsign Gemstones)
रत्नों के विषय में सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि यह क्या होता है. रत्न मूल रूप से जैविक और अजैविक तत्व है. तृणमणि (Amber), मूंगा (Coral), मोती (Pearl), हाथी दांत (Lvory)जैविक रत्न हैं. प्राकृतिक रत्न खनिज के रूप में पृथ्वी के गर्भ से प्राप्त होता है. रत्न जितना सुन्दर होता है उतना ही उत्तम कोटि का होता है. रत्नों का कठोर होना भी इसका एक गुण होता है.
रत्नो के प्रकाशीय गुण (The effect of gemstone colors)
रत्नों में अनेकों गुण होते हैं जिनमें प्रकाशीय गुण विशिष्ट स्थान रखता है. रत्नों के अंदर कई रंगों की आभा छिटकती रहती है जिसे गौर से देखने पर विशेष आभा और चमक का भी अनुभव होता है. रत्नों की जांच के समय इसमें मौजूद प्रकाशीय गुण भी सहायक होता है. इसी की सहायता से रत्नों की सत्यता ज्ञात की जाती है.
रत्न पहचान विधि (How to recognize an effective gem)
रत्नों की जांच स्पेक्ट्रम द्वारा की जाती है. स्पेक्ट्रोमस्कोप में रत्नों से निकलने वाली रोशनी अलग अलग रंगों के स्पेक्ट्रम में बंट जाती है. इस विधि से रंग के माध्यम से रत्नों को पहचानना आसान हो जाता है. कुछ रत्न ऐसे भी हैं जिनमें प्राकृतिक रोशनी में और कृत्रिम रोशनी में अलग अलग आभा होती हैं. पुखराज की विशेषता है कि यह सूर्य की रोशनी में अधिक चमकीला नज़र आता है जबकि बल्ब की रोशनी में इसकी चमक कम हो जाती है. इसके विपरीत पन्ना और माणिक्य बल्ब की रोशनी में सूर्य के प्रकाश से अधिक चमकीला दिखाई देते हैं. हीरा एक ऐसा रत्न है जिसमें प्राकृतिक और कृत्रिम रोशनी दोनों में ही समान अभा रहती है.
रत्न तौलने का मात्रक (Measuring a gemstone)
जिस प्रकार द्रव्य पदार्थों को लीटर में तौला जाता है और अनाज और अन्य वस्तुओं को किलो में तौला जाता है उसी प्रकार रत्नों को भी तौल कर बेचा जाता है. वर्तमान समय में रत्नों को तौलने का मात्रक कैरेट है. पुराने जमाने में इसे तोला, माशा और रत्ती में तौला जाता है. वर्तमान कैरेट प्राणली के अन्तर्गत 200 मिलीग्राम का एक कैरेट होता है. सुनार द्वारा सोने की शुद्धता मापने की विधि में जिस 24 कैरेट, 22 कैरेट, 18 कैरेट सोने की बात की जाती है वह इस पद्धति से भिन्न है. यह मात्रा ज्वेलरी में सोने की मात्रा को दर्शाने के लिए होता है.
रत्नों के विषय में सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि यह क्या होता है. रत्न मूल रूप से जैविक और अजैविक तत्व है. तृणमणि (Amber), मूंगा (Coral), मोती (Pearl), हाथी दांत (Lvory)जैविक रत्न हैं. प्राकृतिक रत्न खनिज के रूप में पृथ्वी के गर्भ से प्राप्त होता है. रत्न जितना सुन्दर होता है उतना ही उत्तम कोटि का होता है. रत्नों का कठोर होना भी इसका एक गुण होता है.
रत्नो के प्रकाशीय गुण (The effect of gemstone colors)
रत्नों में अनेकों गुण होते हैं जिनमें प्रकाशीय गुण विशिष्ट स्थान रखता है. रत्नों के अंदर कई रंगों की आभा छिटकती रहती है जिसे गौर से देखने पर विशेष आभा और चमक का भी अनुभव होता है. रत्नों की जांच के समय इसमें मौजूद प्रकाशीय गुण भी सहायक होता है. इसी की सहायता से रत्नों की सत्यता ज्ञात की जाती है.
रत्न पहचान विधि (How to recognize an effective gem)
रत्नों की जांच स्पेक्ट्रम द्वारा की जाती है. स्पेक्ट्रोमस्कोप में रत्नों से निकलने वाली रोशनी अलग अलग रंगों के स्पेक्ट्रम में बंट जाती है. इस विधि से रंग के माध्यम से रत्नों को पहचानना आसान हो जाता है. कुछ रत्न ऐसे भी हैं जिनमें प्राकृतिक रोशनी में और कृत्रिम रोशनी में अलग अलग आभा होती हैं. पुखराज की विशेषता है कि यह सूर्य की रोशनी में अधिक चमकीला नज़र आता है जबकि बल्ब की रोशनी में इसकी चमक कम हो जाती है. इसके विपरीत पन्ना और माणिक्य बल्ब की रोशनी में सूर्य के प्रकाश से अधिक चमकीला दिखाई देते हैं. हीरा एक ऐसा रत्न है जिसमें प्राकृतिक और कृत्रिम रोशनी दोनों में ही समान अभा रहती है.
रत्न तौलने का मात्रक (Measuring a gemstone)
जिस प्रकार द्रव्य पदार्थों को लीटर में तौला जाता है और अनाज और अन्य वस्तुओं को किलो में तौला जाता है उसी प्रकार रत्नों को भी तौल कर बेचा जाता है. वर्तमान समय में रत्नों को तौलने का मात्रक कैरेट है. पुराने जमाने में इसे तोला, माशा और रत्ती में तौला जाता है. वर्तमान कैरेट प्राणली के अन्तर्गत 200 मिलीग्राम का एक कैरेट होता है. सुनार द्वारा सोने की शुद्धता मापने की विधि में जिस 24 कैरेट, 22 कैरेट, 18 कैरेट सोने की बात की जाती है वह इस पद्धति से भिन्न है. यह मात्रा ज्वेलरी में सोने की मात्रा को दर्शाने के लिए होता है.